इंदिरा गांधी की कैद में लोकतंत्र, कहानी आपातकाल की जानिए क्या – क्या हुआ था
इंदिरा गांधी की कैद में लोकतंत्र, कहानी आपातकाल की जानिए क्या - क्या हुआ था
Indira Gandhi: 25 जून को लगी Emergency को देखते है देखते आज पूरे 50 साल हो गए हैं। आज़ादी के 25 साल बाद जो कुछ हुआ वह शायद ही उस दौर के लोगो के मस्तिकष से जाये। उस आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (indira gandhi) ने आधी रात को घोषणा की। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा की दुनिया के सबसे बड़े लिखित लोकतान्त्रिक देश में ऐसा भी हो सकता है। यह भी की लोकतान्त्रिक देश की संसद में किसी दल की मज़बूरी का बेजा इस्तेमाल की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
आपातकाल का पूरा सच
वो Emergency की जिसके बारे में आज कि पीडियों को सिर्फ इत्तना ही पता है जो उन्होंने किताबो में पढ़ा है। 25 june 1975 को लगा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल 21 महीनो तक यानि 21 मार्च 1977 तक देश पर थोपा गया था। 25 june और 26 june की मध्य रात्रि में पूर्व राष्ट्रपति फकरूदीन अली अहमद के हस्तक्षार करने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हुआ। अगली सुबह पुरे देश ने रेडियो पर इंदिरा गाँधी के आवाज़ में सन्देश सुना ” भाइयो और बहनो , राष्ट्रपति कजी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है ”l
आखिर Emergency की नौबत क्यों आ गयी ?
साल 1971 के चुनाव में इंदिरा गाँधी ने सयुंक्त सोशलिस्ट परतुय के उम्मीदवार राजनारायण को करारी शिकस्त दिए थी। उन्होंने इंदिरा गाँधी मिशनरी और संसाधन के दुरूपयोग और भ्रस्टाचार का आरोप लगाते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की। 12 जून 1975 को हाई कोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गाँधी को दोषी माना उनका निर्वाचन अवैध हो गया।
किसी भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद गाँधी इंदिरा पर प्रधानमंत्री पद छोड़ने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं बचा था। परन्तु उनके मंत्री मंडल के कहने पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।
इंदिरा गाँधी ने हाई कोर्ट के फैसले के नाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया परन्तु वहां भी उनको कुछ हासिल नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट के जज कृष्णा अय्यर ने इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई। इंदिरा गाँधी को केवल प्रधानमंत्री बने रहने की इजाजत दी गयी थी। आखिरी फैसला आने तक उन्हें संसद के तौर पर वोट डालने का अधिकार भी नहीं था।
मीसा के तहत लोगो को जेल में डाला गया
इमरजेंसी भारत के इतिहास में एक काला पन्ना बन कर रह गया क्यूंकि इसके दौरान मेंटेनेंस ऑफ़ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट [ the mainetance security act ]के तहत लोगो को सरकार ने बेलगाम होकर जेलों में डाला। अहसहमति को सकती से कुचल दिया गया और नागरिक स्वंत्रता को सरकार की तरफ से रोंदने का काम किया गया। 21 महीने जब तक इमरजेंसी लागु रही, मानवाधिकार के उल्लंघन और प्रेस पर दमनकारी वाली सेंसरशिप तक की खबरे आती रही।