Delhi Pollution: दिल्ली में AQI प्रदूषण का स्तर 364 के पार, दिवाली से पहले ही बिगड़े दिल्ली के हालात
Delhi Pollution: राजधानी दिल्ली में पल्यूशन का स्तर बढ़ गया है. जिससे लोगो को बहुत सारी परेशानिओं और बिमारिओं का सामना करना पड़ रहा है दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण की वजह से लोगो को सरदर्द, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और कई सारी समस्याएँ हो रही, जिसके चलते उनके मॉर्निग वॉक और जॉगिंग पर भी रोक लगा दिया गया है.
दिल्ली में पल्यूशन का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते लोगो को सांस लेने जैसी दिक्कत और कई सारी परशानिओं का सामना करना पड़ रहा है. उसी बीच AQI बढ़कर 364 हो गया है. दस दिनों के आउटलुक (संभावित स्थिति) के अनुसार, 26 अक्टूबर के बाद पल्यूशन का स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है. AQI 401 से 450 तक रहे तो उसे पल्यूशन की गंभीर स्थिति कहा जाता है.
दिवाली से पहले ही ऐसी गंभीर हालत
दिवाली (Diwali) से पहले ही दिल्ली की हालत गंभीर हो गयी है जबकि, आमतौर पर पल्यूशन दिवाली के बाद ही इस श्रेणी में पहुंचता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एयर बुलेटिन ने बताया कि दिल्ली का AQI 364 हो गया है. मुख्य प्रदूषक पीएम 10 और पीएम 2.5 रहे. फरीदाबाद का AQI 238, गाजियाबाद का 305, ग्रेटर नोएडा का 254, गुरुग्राम का 247 और नोएडा का 300 रहा. तो वहीं आनंद विहार में पल्यूशन का स्तर 413, जहांगीरपुरी में 416 और विवेक विहार में 407 रहा.
तीन जगहों पर पल्यूशन का स्तर गंभीर रहा. 25 जगहों पर यह बेहद खराब और महज तीन जगहों पर खराब स्तर पर रहा. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा कि पल्यूशन 24 से 26 अक्टूबर के बीच बेहद खराब स्तर पर रहेगा. इसके बाद अगले छह दिनों तक यह बेहद खराब से गंभीर स्तर पर रह सकता है.
एक्सपर्ट ने पल्यूशन के बढ़ते स्तर को देखते हुए लोगो को सतर्क किया है कि ऐसे लोगों को सुबह और शाम की जॉगिंग के साथ ही बाहर होने वाली एक्टिविटिज, पार्कों में एक्सरसाइज को बंद कर देना चाहिए। सुबह और शाम के समय प्रदूषण सबसे अधिक होता है, इसलिए यदि इस तरह की गतिविधियां करनी हैं तो वह धूप में करें. धूप आने के बाद स्मॉग और प्रदूषक कणों का असर कम होने लगता है. वहीं इस समय जॉगिंग की बजाय वॉकिंग को प्राथमिकता बनाने को भी कहा गया है. इससे पीएम 2.5 के कण बहुत अधिक संख्या में शरीर के अंदर नहीं जाएंगे. वॉकिंग के दौरान भी अपनी स्पीड को कम रखें ताकि सांस अधिक तेज न चले.