Moon Dust Sticking Reason: चन्द्रमा की धूल चिपकती क्यों है ? वजह जान चौंक जायेंगे आप
Moon Dust Sticking Reason: साल 1969 में चांद पर इंसानों ने जब पहली बार अपना कदम रखा. तो चांद के धूल पर पैरों के निशान पड़े.वैज्ञानिकों का मानना है कि ये निशान आज भी वहां मौजूद हैं. क्योंकि चांद पर ना तो हवा (Air) है और ना ही धूल उड़ती है. लेकिन वहीं चांद पर जब अमेरिका ने अपना झंडा फहराया तो झंडा हवा में उड़ता नजर आ रहा था.
इस बात को लेकर कई कॉन्सपिरेसी थ्योरी (conspiracy theory) भी लोग चलाते हैं कि अगर चांद पर हवा नहीं है तो फिर झंडा कैसे फहर रहा है? इसके आलावा एक सवाल और भी लोगों के मन में उठता है की जब चांद पर पानी नहीं है तो वहां की धूल इतनी चिपकती क्यों है. आज के इस आर्टिकल हम इन सभी सवालों के जवाब जानेगें.
फिनामिना क्या है
आपने कई बार यह देखा होगा की नदी किनारे रेत (Sand) आपके ऊपर चिपक जाती है और फिर झाड़ने पर भी नहीं झड़ती है. बताया जाता है कि चांद की धूल भी इसी तरह चिपचिपी होती है और इसके पीछे का वजह फिनामिना (Phenomena) है. जिसकी वजह से इस्त्री के बाद, पतले कपड़े आपके शरीर से चिपक जाते हैं. जैसे बचपन में बच्चे प्लास्टिक की स्केल को बालों में रगड़ कर उससे कागज के छोटे टुकड़ों को उठा लेते थे. वैसा ही ये मामला चांद की धूल का भी है. इसे टेक्निकल भाषा में इसे स्टैटिक क्लिंग (static cling) कहते हैं यानी स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी की वजह से हल्की चीजों का चिपकना.
One giant leap for mankind, 53 years ago today
Apollo 11 was the first crewed mission to land on the Moon, on 20 July 1969 pic.twitter.com/HZeTrdWOMd— Space (@redditSpaceView) July 20, 2022
दरअसल, दुनिया की सभी चीजों में इलेक्ट्रॉन (electron) पाए जाते हैं और इलेक्ट्रान में नेगेटिव चार्ज होता है. इस लिए ये इलेक्ट्रॉन जिस चीज में जाते हैं उसमें भी नेगेटिव चार्ज आ जाता है और जिस चीज से निकलकर जाते हैं उसमें पॉजिटिव चार्ज आ जाता है. ऐसा ही कुछ चांद के धूल वाले मामले में भी होता है. जब किसी पदार्थ की सतह में इलेक्ट्रिक चार्ज का संतुलन (Balance) बिगड़ जाता है और पदार्थ कुछ समय के लिए पॉजिटिव या नेगेटिव चार्ज ले लेती है. तब ये अपने से विपरीत चार्ज वाली चीज को अपनी तरफ खींचती है.
चांद की धूल में क्या है खास
जब भी चांद अपने पूरे आकर में होता है. तो ये पृथ्वी के मैगनेटोटेल (magnetotail) से होकर गुरता है. अब आप सोच रहें होंगे ये मैगनेटोटेल क्या है? तो आपको बता दूं कि, सूर्य की तरफ से कई तरह के चार्ज पार्टिकल निकलते हैं. जिनको सोलर विंड (solar wind) कहा जाता है. ये सोलर विंड जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) से टकराते हैं तो एक लंबी रेखा बनती है.
जिसमें चार्ज्ड पार्टिकल की लहर होती है. इसे ही हम मैगनेटोटेल कहते हैं. जब भी चन्द्रमा इससे होकर गुजरता है. तो इसमें इलेक्ट्रान्स की बमबारी होती है और चांद की धूल में भी इलेक्ट्रान का ये चार्ज आ जाता है. जिसकी वजह से ये आपस में तो एक दूसरे से दूर भागते हैं. लेकिन किसी दूसरी सतह जैसे कि एस्ट्रोनॉट्स पर चिपक जाते हैं. अब इस समस्या का समाधान NASA अपने आर्टिमिस मिशन के लिए निकाल रही है. ताकि ये धूल को चिपकने से रोका जा सके. और इसके लिए तरल नाइट्रोजन को एक सही पदार्थ माना जा रहा है.