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Waqf Board Bill: क्या है वक्फ बोर्ड? कब हुई इसकी शुरुआत, जानिए क्यों मचा है इसमें बदलाव को लेकर बवाल..

Waqf Board Bill: वक्फ बोर्ड(Waqf Board) या वक्फ की संपत्ति को लेकर हमेशा से ही चर्चा होती आ रही है. कुछ समय पहले इस मामले से ताज महल (Taj Mahal) से जुड़ी एक बहस छिड़ी थी कि ताज महल वक्फ की संपत्ति है या नहीं. दरअसल मुस्लिम समुदाय(Muslim community) से जुड़े हर धार्मिक स्थल से जुड़े हर विवाद में सब पहले यही तय किया जाता है कि वह इमारत वक्फ की संपत्ति है या नहीं, और अब तो भारत सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड को ही बदलने का मुद्दा उठाया जा चुका है.

दरअसल भारत सरकार एक नया कानून लेकर आने वाली है जिसके चलते वक्फ बोर्ड एक्ट को बदल दिया जाएगा. वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि भारत सरकार के नए कानून के तहत अब महिलाओं को भी इस बोर्ड में शामिल किया जाएगा, वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला प्रशासन में करवाना अनिवार्य होगा. इसी के साथ अदालत को यह अधिकार दिया जाएगा कि उक्त संपत्ति वक्फ की है या नहीं, यह तय कर सके.

वक्फ ऐसी संपत्ति है जो कि जन कल्याण को समर्पित हो. यानी कि ऐसी जमीने जोकि किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है. दरअसल वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है जो तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है. यह निर्धारण तीन आधारों पर होता है किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी हो, सर्वे में संपत्ति का वक्फ का साबित होना या या मुस्लिम संस्था संपत्ति का इस्तेमाल लम्बे समय से कर रहा हो.

बता दें कि वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय की जमीन पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था. जिससे कि इन जमीनों व सम्पत्तियों को बेवजह इस्तेमाल करने और गैर कानूनी तरीके से बेचने पर रोक लगाई जा सके. आइए जानते हैं कब हुई वक्फ बोर्ड की शुरुआत और बोर्ड की शक्तियों के बारे में …

कैसे हुई Waqf Board Bill की शुरुआत?

देश को आज़ादी मिलने के बाद पूरे देश में मौजूद वक्फ सम्पत्तियों के लिए एक स्ट्रक्चर बनाने की बात शुरू की गई थी. जिसके बाद 1954 में संसद में वक्फ एक्ट 1954 को मंजूरी मिली. जिसके तहत यह बिल पास हुआ था. इसके बाद वक्फ की सारी समपत्तियां बोर्ड के अधीन आ गई थी. वहीं कानून पास होने के एक साल बाद यानी 1955 में इसमें संशोधन किया गया जिसके तहत यह प्रस्ताव पास किया गया कि वक्फ बोर्ड राज्य लेवल पर बनाए जाएंगे.

जिसके बाद साल 1955 में नया एक्ट आया जिसमें साल 2013 में संसोधन किया गया. फिलहाल जो व्यवस्था है वह इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत ही है. हालांकि यह कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता. जिसके प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है.

वक्फ बोर्ड के पास हैं ये शक्तियां

वक्फ बोर्ड के अनुसार, यदि आपकी सम्पति को वक्फ का साबित कर दिया जाता है तो आप उसके खिलाफ अदालत नहीं जा सकते। इसके लिए आपको वक्फ बोर्ड के पास ही गुहार लगानी पड़ेगी। वहीं अगर वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आता है तो ऐसी स्थिति में भी आप अदालत नहीं जा सकते। ऐसे में आप वक्फ ट्राइब्यूनल का रुख कर सकते हैं। वक्फ ट्राइब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं जिनमें गैर मुस्लिम भी हो सकते हैं। हालांकि वक्फ ट्राइब्यूनल से फैसला आने के बाद उसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती चाहे फैसला आपके खिलाफ हो या आपके हक़ में, आपको उसे स्वीकार करना होगा।

बोर्ड में क्या बदलाव चाहती है केंद्र सरकार?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम करने का प्लान बना रही है. जिसके तहत केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड कानून में 40 संशोधन करना चाहती है. वक्फ बोर्ड के पास मौजूद असीमित शक्तियों पर नियंत्रण लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कई संसोधन पास किए हैं. जिसमें वक्फ बोर्ड के पास मौजूद सम्पत्तियों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन शामिल है. जिसे कि सम्पत्तियों के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने की कोशिश की जाएगी.

विपक्षी पार्टियां कर रहीं विरोध

हालांकि केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का विपक्षी पार्टियां खुलकर विरोध प्रकट कर रही हैं. जिसमें लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा भी शामिल है. इसी के साथ इस बिल के वरोध में शरद पवार की पार्टी भी उतरी हुई नजर आ रही है. वहीं RJD और कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का जमकर विरोध किया. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन हेतु केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बिल का विरोध करने की तैयारी में जुटी हुई है.

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