POK – क्या मोदी सरकार के लिए POK और 1962 में चीन द्वारा कब्जाई गई भूमि को वापस लेना संभव होगा, जानिए जम्मू कश्मीर का पूरा विवाद
POK - क्या मोदी सरकार के लिए POK और 1962 में चीन द्वारा कब्जाई गई भूमि को वापस लेना संभव होगा
POK – रविवार, 7 जुलाई को BJP के मंत्री प्रतापराव जाधव ने ये बयान दिया की अगर NDA लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें जीत जाती तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी PoK को भारत में शामिल करने के साथ – साथ 1962 में चीन द्वारा कब्ज़ा की गयी जमीनों को वापस लेना संभव हो जाता.
पिछले कुछ दिनों में भारतीय जनता पार्टी के के 4 अन्य दिग्गज मंत्री भी POK को लेकर आक्रामक बयान दे चुके हैं.
राजनाथ सिंह: हमें POK पर अपना कब्जा करने के लिए बल का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि वहां के लोग ही कहेंगे कि हमें भारत में विलय करना चाहिए। ऐसी मांगें अब उठने भी लगी हैं. POK हमारा था, है और हमारा रहेगा .
एस. जयशंकर: PoK को लेकर संसद में प्रस्ताव पारित हुआ है। हर राजनीतिक दल का मानना है कि POK भारत का हिस्सा है. आर्टिकल 370 के बाद हमारी सरकार POK को दोबारा भारत का हिस्सा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
अमित शाह: PoK भारत का हिस्सा है और हम इसे लेकर रहेंगे। सही समय पर सही एक्शन लिया जाएगा.
जेपी नड्डा: श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नारा दिया था- वो कश्मीर हमारा है, जो सारा का सारा है. Pok को वापस भारत में मिलाकर BJP अपने अधूरे एजेंडे को पूरा करेगी. PM मोदी के नेतृत्व में BJP का POK को लेकर स्टैंड क्लियर है.
1846 से अब तक जम्मू-कश्मीर का पूरा विवाद जानिए क्या है .
अंग्रेज़ो और सिख के बीच हुए युद्ध के बाद राजा गुलाब सिंह और अंग्रेजों के बीच 1846 में एक अमृतसरी संधि हुई थी.16 मार्च 1846 को अंग्रेज़ो की ईस्ट इंडिया कंपनी और राजा गुलाब सिंह के बीच जम्मू और कश्मीर को लेकर ये एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ. इस अमृतसर समझौते के द्वारा गुलाब सिंह इस रियासत के राजा बने.
राजा गुलाब सिंह ने अंग्रेजों से 75 लाख नानकशाही रुपए में कश्मीर घाटी और लद्दाख (बाल्टिस्तान, कारगिल और लेह समेत) को खरीदते हुए उसे जम्मू में मिला लिया था, जिस पर पहले ही उनका शासन था। करीब 79 साल बाद 1925 में डोगरा वंश के हरि सिंह जम्मू और कश्मीर रियासत के राजा बने.
आजादी से पहलेः
कश्मीर रियासत के बड़े हिस्से पर चीन ने अपना हिस्सा किया व दो हिस्सों में बट गया, पूर्व के राजदूत सुजान आर चिनॉय ने अपने रिसर्च आर्टिकल में लिखा है कि 1865 में हुंजा (कंजुट इलाका) कश्मीर रियासत का हिस्सा हुआ करता था. जम्मू कश्मीर के राजा ने यहां एक भव्य किला बनवाया था. 1869 में हुंजा के मीर ने कश्मीर के महाराजा की संप्रभुता को मान्यता दी थी. 1891 में मीर ने विद्रोह किया तो के कश्मीर के राजा ने अंग्रेज़ो का साथ न दिया.
हुंजा के मीर ने उसके बाद झिंजियांग भागकर अपनी जान बचाई. 1914 में हेनरी मैकमोहन एक ब्रिटिश अधिकारी ने भारत और चीन की सीमा तय करने के लिए एक मैकमोहन रेखा खींची थी. तिब्बत ने इसमें अपनी सहमति दे सर परन्तु चीन ने इंकार कर दिया.
चीन ने कश्मीर रियासत के हुंजा समेत बड़े हिस्से पर दावा किया. अंग्रेज अधिकारियों ने इस दावे का विरोध भी किये बिना चीन की बात मान ली. सुजान अपने रिसर्च आर्टिकल में बताते हैं कि वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन ने अपने एक पत्र में लिखा था की ”हम चीन को जितना मजबूत बना सकेंगे और जितना अधिक हम उसे पूरे काश्गर-यारकंद क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए प्रेरित कर सकेंगे और हमारे लिए वह उतना ही इस क्षेत्र में रूसी सेनाओं को आगे बढ़ने से रोकने में ब्रिटेन के लिए ताकतवर साबित होगा”
आजादी के बाद
जम्मू-कश्मीर रियासत ने पूरी तरह से भारत से जुड़ने का फैसला किया
अगस्त 1947 में इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत भारत और POK दो अलग अलग देशो के रूप में आजाद हुए थे. उस समय देश में कुल 570 से भी ज्यादा रियासतें मौजूद थीं.इस एक्ट के अनुसार, इन रियासतों के शासकों को ये फैसला करना था कि वे भारत के साथ जाना चाहते हैं, या पाकिस्तान के साथ, या फिर आजाद रहना चाहते हैं.देश की आजादी का समय निकट आने तक लगभग 560 रियासतों ने भारत में अपना विलय करने का फैसला किया, लेकिन जूनागढ़, जम्मू-कश्मीर और हैदराबाद ये ऐसी रियासते थी जो ना भारत के और ना पाकिस्तान दोनों में से किसी के साथ विलय का फैसला नहीं किया था.
विलियम नॉर्मन ब्राउन ने अपनी किताब ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडिया एंड पाकिस्तान’ में लिखा- 24 अगस्त 1947 को पाकिस्तान ने महाराजा हरि सिंह को एक चेतावनी भरा खत भेजते हुए लिखा, ‘कश्मीर के महाराजा के लिए समय आ गया है कि उन्हें अपनी पसंद तय करते हुए पाकिस्तान को चुनना चाहिए .अगर कश्मीर उस वक़्त पाकिस्तान में शामिल नहीं होता है तो शायद उसे गंभीर संकट का सामना करना होगा.
कैसे बना POK
लगभग 2 महीने बाद पाकिस्तान ने 22 अक्टूबर 1947 को नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रांत से कबायलियों कोएकत्रित करके ऑपरेशन गुलमर्ग शुरू किया.आधुनिक हथियारों से लैस और पाकिस्तानी सेना के डायरेक्ट कंट्रोल वाले करीब 2000 कबायली बसों से और पैदल कश्मीर के मुजफ्फराबाद पहुंच गए. 22 अक्टूबर को कबायलियों ने मुजफ्फराबाद पर अपना कब्ज़ा कर लिया और 26 अक्टूबर तक उरी और बारामूला को उन्होंने अपने कब्ज़े में ले लिया. पाकिस्तानी कबायलियों ने बारामूला में लगातार हिंसा की. कुछ इतिहासकारों के अनुसार, बारामूला में उस दौरान लगभग उस दौरान 11 हजार लोगों की हत्या की गई. 26 अक्टूबर को महाराजा हरि सिंह जान बचाकर श्रीनगर से जम्मू भाग गए.
इसी दिन उसी डर से राजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर ही दिया . इस विलय पत्र के खंड 4 में यह बात लिखी गई है की ”महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की घोषणाकर दिर है परन्तु पाकिस्तान कश्मीर के भारत में विलय को नहीं स्वीकारता. 1948 में खुले तौर पर कश्मीर में जंग छेड़ते हुए पाकिस्तान ने अपनी सेनाएं तैनात कर दीं. इस संघर्ष के कुछ महीनों बाद लॉर्ड माउंटबेटन की सलाह पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर में पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया.
UNO की देखरेख में 1 जनवरी 1949 को दोनों देशों के बीचसंघर्ष अंतिम चरण तक पहुंच और दोनों देशों के बीच कश्मीर में सीमा रेखा को निर्धारित किया गया , जिसे लाइन ऑफ कंट्रोल यानी की LoC कहा गया.संघर्ष खत्म होने के बाद भी दोनों देशो की सेनाएं वहां से नहीं हटी. जम्मू कश्मीर रियासत के जितने हिस्से को पाकिस्तान ने कब्जा किया, उसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी की PoK कहा गया.