Bakra Eid: बकरीद के दिन क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी ? जानिए इसके पीछे का कारण
Bakra Eid: बकरीद के दिन क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी ? जानिए इसके पीछे का कारण
Bakra Eid: मुस्लिमो का सबसे बड़ा त्यौहार बकरीद यानी ईद उल-अजहा(Bakra Eid) को बड़े धूम धाम से मुस्लिम समाज के लोग मनाते है। इस दिन मुस्लिम समाज के लोग बकरा (goat) काट कर अपने अल्लाह को चढ़ाते है और उसका मांस खाते भी है और गरीबों को दान भी करते है। इस साल बकरीद 17 जून को मनाया जाएगा। जिसके लिए बाजारों में रौनक लगाना शुरू हो गया है।
Bakra Eid को देखते हुए इस बार बाजारों में बकरों की कीमते आसमान छू रही है। इस बार बकरों की किमत 10,000 रुपए से लेकर 20,0000 रुपए तक पहुंच गयी है। हर साल के मुताबिक इस बार व्यापारियों ने बकरे की कीमत काफी ज्यादा बढ़ाई है। इसके बावजूद भी मुस्लिम समाज के लोग बड़े चाव से खरीद रहे है।
लोगो का कहना है कि व्यापारियों ने बकरों के दाम काफी ज्यादा चढ़ा रखें हैं वहीं व्यापारियों का कहना है की इस बार उन्हे काफी ज्यादा किराए भाड़े के साथ लाना पड़ा है जिस कारण कहीं न कहीं बकरों के दामों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। बकरा कारोबारियों का कहना है की कीमत बढ़ी होने के चलते इस बार मंडी में अभी तक बकरों की खरीदारी में तेजी नहीं आई है।
बकरीद (ईद उल-अजहा) के दिन क्यों काटा जाता है बकरा
इस्लाम के मुताबिक, ईद उल-अजहा यानि बकरीद पर कुर्बानी की शुरुआत हजरत इब्राहीम के दौर से शुरू हुई थी। हजरत इब्राहीम को अल्लाह का पहला पैगंबर माना जाता है। इस्लामिक धर्म के अनुसार, अल्लाह ने एक बार अपने पैगंबर इब्राहीम की परीक्षा लेने का सोचा, अल्लाह ने अपने पैगंबर इब्राहीम के ख्वाब में जाकर उनसे कहा तुम अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्यारी और अजीज चीज की कुर्बानी दो, जिसमें हजरत इब्राहीम ने जवाब देते हुए कहा मेरी सबसे प्यारी चीज मेरी औलाद है।
बता दें कहा जाता है की इब्राहीम को उनका बेटा इस्माइल ही सबसे अजीज और अकारीब था। जिसने कुछ वक्त पहले ही पैगंबर इब्राहीम के घर पर जन्म लिया था। अल्लाह की बात मान कर पैगंबर इब्राहीम ने अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने के बारे में ठान लिया और अपने बेटे की जान की कुर्बानी देदी।
पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति समर्पण दिखाने के लिए अपने बेटे की बलि देने की इच्छा को याद करने के लिए ईद उल-अजहा यानि बकरीद मनाया जाता है इस दिन को “बलिदान का त्यौहार” भी कहा जाता है। इस दिन मुसलमान जानवरों की कुर्बानी देकर और मांस को अपने घरों, रिश्तेदारों और गरीबों के साथ शेयर करके मनाते हैं। इस कुर्बानी का खास महत्व ये भी है अल्लाह के प्रति हमेशा अपना ध्यान लगाए रखना।